भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने पेमेंट गेटवे बिलडेस्‍क की PayU को अधिग्रहण की मंजूरी दे दी है. सीसीआई  ने सोमवार को एक ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी. इस समझौते को मंजूरी देने में आयोग ने काफी समय लिया है और पेयू से काफी सवाल-जवाब करने के बाद डील को हरी झंडी दी है. बिलडेस्क का 4.7 अरब डॉलर (करीब 30 हजार करोड़ रुपये) में अधिग्रहण होगा.

फिलहाल इस मामले में प्रतिस्‍पर्धा आयोग  की ओर से विस्तृत आदेश आने का इंतजार है. अभी इस डील को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से एक अंतिम नियामकीय मंजूरी लेनी होगी. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में वॉलमार्ट द्वारा फ्लिपकार्ट का अधिग्रहण किए जाने के बाद भारत के इंटरनेट सेक्टर की यह दूसरी सबसे बड़ी डील है. कई स्रोतों के मुताबिक CCI ने डील को मंजूरी देने से पहले इस मामले PayU और बिलडेस्क की प्रतिद्वंदी कंपनियों से भी संपर्क किया था. इनका भारत में रेजरपे, पाइन लैब्स, पेटीएम, इंफीबीम एवेन्यू और एमस्वाइप जैसी कंपनियों से मुकाबला है.

22 साल पुरानी है बिलडेस्‍क

बिलडेस्‍क को साल 2000 में एमएन श्रीनिवासु, अजय कौशल और कार्तिक गणपति ने शुरू किया. कंपनी का फोकस पेमेंट को शुरू करने, स्वीकार करने और कलेक्शन पर है. पेमेंट एग्रीगेटर के तौर पर बिलडेस्क 170 से अधिक पेमेंट तरीके मुहैया कराती है. साथ ही यह भारत बिल पेमेंट सिस्टम (BBPS) के जरिए बिलर नेटवर्क सॉल्यूशन भी मुहैया कराती है. कंपनी मासिक किस्त का कलेक्‍शन भी करती है.

2021 में हुआ था अधिग्रहण का ऐलान

PayU ने 31 अगस्त 2021 को बिलडेस्क का 4.7 अरब डॉलर में अधिग्रहण करने की घोषणा की थी. तब से इस समझौते को नियामकीय मंजूरी मिलने का इंतजार है. इस समझौते के सिरे चढ़ने के बाद PayU का भारत में यह चौथा अधिग्रहण होगा. कंपनी साल 2016 में सिट्रस पे (Citrus Pay), 2019 में बिम्बो (Wibmo) और 2020 में पेसेंस (PaySense) का अधिग्रहण कर चुकी है. कंपनी का इरादा भारत में एक पूरा फिनेटक ईकोसिस्टम तैयार करना है.